Bihar Jamin Survey : बिहार सरकार पूरे राज्य में भूमि सर्वे करवा रही है। रैयतों के बीच सबसे बड़ी चिंता दाखिल-खारिज को लेकर है। अधिकांश रैयतों का कहना है कि जमीन उनके पूर्वजों के नाम पर है। कई रैयतों के पास केवाला (जमीन रजिस्ट्री) दस्तावेज है, लेकिन जमीन आज भी पुराने रैयत के नाम पर है। जमीन का म्यूटेशन अब तक नहीं हुआ है। भू-राजस्व विभाग का इस मामले में कहना है कि दाखिल-खारिज को लेकर रैयतों को किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी जमीन की रसीद अपडेट नहीं है, तो पुरानी रसीद भी मान्य होगी। अगर म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) नहीं है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
सपोर्टिंग दस्तावेज से चलेगा काम :
पुश्तैनी जमीन पर दावा करने के लिए वंशावली की आवश्यकता होगी। सर्वे कर्मी सपोर्टिंग दस्तावेज तभी मांगेंगे, जब प्रस्तुत किए गए मुख्य दस्तावेज में त्रुटि या कमी होगी। अगर जमीन से संबंधित कोई कागजात नहीं हैं, तो सर्वे कराने से पहले अपनी जमीन के कागजी प्रमाण जुटाने होंगे। इसके बाद के 30 दिनों में किस्तवार जमीन का मैप निर्धारण और ग्राम सीमा का सत्यापन किया जाएगा। हवाई सर्वेक्षण एजेंसी के स्तर से मानचित्र को अपडेट किया जाएगा। सभी खातों का सत्यापन कर हर खेसरा की नंबरिंग और रैयतवार खेसरा का निर्माण किया जाएगा।
फॉर्म कहां से डाउनलोड करें:
ऑनलाइन आवेदन और जरूरी दस्तावेज डाउनलोड करने के लिए विभाग ने वेबसाइट का पता भी जारी कर दिया है। वंशावली से लेकर भूमि सर्वेक्षण से जुड़े सभी तरह के फॉर्म राजस्व विभाग की वेबसाइट land.bihar.gov.in से डाउनलोड किए जा सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति कहीं बाहर रहता है तो इस वेबसाइट के अलावा landsurvey.bihar.gov.in या dlrs.bihar.gov.in पर भी इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। सारी जानकारी ऑनलाइन भरी जा सकती है। सर्वे ट्रैकिंग ऐप पर सर्वे का स्टेटस और अपने प्लॉट से जुड़ी अपडेट जानकारी देख सकते हैं।
सर्वे की डेडलाइन तय:
बिहार के 45 हजार गांवों में सर्वे का काम चल रहा है। इसके लिए डेडलाइन तय कर दी गई है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से राज्य के सभी 534 अंचलों के 45 हजार 862 गांवों में किए जा रहे भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया 360 दिनों में पूरी की जाएगी। इसलिए सभी प्रक्रियाओं के लिए डेडलाइन तय कर दी गई है। आम लोगों से 15-15 दिनों के लिए दो बार दावा-आपत्ति प्राप्त करने की डेडलाइन तय की गई है। चरणबद्ध तरीके से इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद परिणाम प्रकाशित किया जाएगा। लगभग एक साल में सभी गांवों के भूमि सर्वेक्षण का परिणाम प्रकाशित करने का लक्ष्य है।
सरकारी दस्तावेज से होगा मिलान :
रैयत या जमीन मालिक द्वारा सौंपे गए किसी भी दस्तावेज का मिलान सरकारी दस्तावेजों से किया जाएगा। इसके बाद ही इन्हें अंतिम रूप से अपलोड किया जाएगा। यदि जमा किए गए दस्तावेजों में नाम, खेसरा-खाता संख्या समेत अन्य किसी चीज का मिलान सरकार के पास मौजूद दस्तावेजों से नहीं होगा, तो इसे अपलोड नहीं किया जाएगा। संबंधित व्यक्ति को इसकी सूचना दी जाएगी कि वे अपनी जमीन का सही दस्तावेज प्रस्तुत करें। ऐसा न करने पर पहले से मौजूद नाम को ही मान्यता दी जाएगी।
जमीन स्वामित्व के लिए जरूरी प्रमाण :
इस विशेष भूमि सर्वे के लिए भूस्वामी को अपनी जमीन से जुड़ा कोई भी वो सरकारी प्रमाण देना होगा, जिससे यह साबित हो सके कि वह जमीन उनकी है और यह उन्हें कैसे प्राप्त है। इनमें जमीन का केवाला। जमीन का खतियान, रसीद, दाखिल-खारिज का नकल या जमीन के स्वामित्व (मिलकियत) से संबंधित अन्य कोई सरकारी दस्तावेज शामिल हो सकता है।
आमतौर पर जमीन की प्रकृति के आधार पर इसके लिए तीन प्रकार के साक्ष्य होते हैं:
- पुश्तैनी जमीन का खतियान,
- खरीदी गई जमीन की डीड या रजिस्ट्री दस्तावेज, और
- यदि जमीन सरकार से मिली हुई है तो इसका पर्चा या बासगीत पर्चा।
जमीन रैयतों को तैयारी के लिए निर्देश:
- किश्तवाड़ और खाना पुरी के दौरान:
- जमीन के रैयत को जमीन पर उपस्थित रहना होगा, क्योंकि जमीन की चौहद्दी के बारे में पूछा जाएगा।
1. जमीन की तैयारी:
- अपनी जमीन को अच्छी तरह से तैयार करके और उसकी सीमाओं को सही-सही अंकित कर लेना होगा।
- इसके बाद, प्रपत्र 2 में खेसरा वार विवरण भरकर शिविर में जमा करना होगा।
2. इसके साथ कुछ दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे, जैसे:
- जमाबंदी संख्या का विवरण/मालगुजारी रसीद की छाया प्रति (यदि उपलब्ध हो)।
- खतियान की नकल (यदि उपलब्ध हो)।
- मृत जमाबंदी रैयत की मृत्यु की तारीख/मृत्यु प्रमाण पत्र की कॉपी।
- आवेदन के लाभार्थी का मृतक के वारिस होने का प्रमाण पत्र।
- वंशावली प्रपत्र 3 (I) में भरकर कागजात के साथ शिविर में जमा करना होगा।
3.. प्रपत्रों की जांच:
- प्रपत्र 7 और L.P.M. प्राप्त करने के बाद उनकी ठीक से जांच करें। यदि कोई गलती पाई जाती है, तो प्रपत्र 8 में आपत्ति दर्ज करें।
- आपत्ति की सुनवाई के लिए समय पर उपस्थित रहें।
- प्रारूप अधिकार अभिलेख/मानचित्र की जांच करें। यदि कोई गलती पाई जाती है, तो प्रपत्र 14 में आपत्ति दर्ज करें।
- अधिकार अभिलेख और मानचित्र का अवलोकन करें। अगर गलती पाई जाती है, तो प्रपत्र 21 में आपत्ति दर्ज करें।
- खतियान की एक कॉपी शिविर या बंदोबस्त कार्यालय से प्राप्त कर लें।
सर्वेक्षण का कार्यक्रम :
- सर्वेक्षण पूर्व कार्य: 16 अगस्त से 9 सितंबर 2024
- त्रिसीमाना और ग्राम सीमा का निर्धारण, खेसरा वार सत्यापन: 1 से 31 अक्टूबर 2024
- खानापुरी रैयतों के स्वामित्व संबंधी कागजात का संकलन: 1 नवंबर से 15 नवंबर 2024
- रैयत के बीच खानापुरी पर्चा का वितरण और दावा आपत्ति: 16 से 25 जनवरी 2025
- आपत्ति का निपटारा: 16 फरवरी से 15 मार्च 2025
- प्रथम विश्रांति: 16 से 22 मार्च2025
- पारूप अधिकार का प्रारूप प्रकाशन: 22 मार्च से 23 अप्रैल 2025
- आपत्ति का निपटारा: 24 अप्रैल से 22 जून 2025
- द्वितीय विश्रांति और बंदोबस्ती लगान: 9 से 24 जुलाई 2025
- अंतिम अधिकार अभिलेख का प्रकाशन: 25 जुलाई से 24 अगस्त 2025