Bihar Land Survey : बिहार में भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया एक व्यापक योजना है, जो राज्य के निवासियों को उनकी भूमि से संबंधित दस्तावेज़ों को डिजिटल रूप में संरक्षित करने और संपत्ति के स्वामित्व का प्रमाण प्रदान करने का अवसर देती है। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर हर ज़मीन मालिक को एक खाता बुक दी जाएगी, जो राशन कार्ड के समान होगी। इस खाता बुक में उनकी जमीन का पूरा विवरण, प्लॉट का आकार और नक्शा भी दर्ज होगा। यह दस्तावेज़ न केवल स्वामित्व का प्रमाण देगा, बल्कि भूमि विवादों को हल करने में भी मदद करेगा।
डिजिटल और ऑफलाइन दोनों सुविधाएँ :
चूंकि यह सर्वेक्षण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किया जा रहा है, इसका लाभ यह है कि यदि आप बिहार के बाहर रहते हैं, तो भी आप अपनी ज़मीन के दस्तावेज़ों को ऑनलाइन देख और अपडेट कर सकते हैं। डिजिटल सर्वेक्षण प्रणाली के अंतर्गत, आप अपनी भूमि के नक्शे से लेकर खतियान तक की जानकारी ऑनलाइन देख सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आप ऑनलाइन अपील भी दायर कर सकते हैं, जिससे किसी भी प्रकार के भूमि विवादों को हल करने में सहूलियत होगी।
भूमि से संबंधित सभी दस्तावेज़ ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी जमा किए जा सकते हैं। इसका मतलब यह है कि जो लोग तकनीकी सुविधाओं तक पहुँच नहीं रखते, वे भी इस सर्वेक्षण में भाग ले सकते हैं। यह प्रक्रिया हर व्यक्ति को उनकी भूमि से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी तक पहुँच प्रदान करती है, जिससे भूमि के स्वामित्व और विवादों के समाधान में पारदर्शिता बनी रहेगी।
खाता बुक का महत्व :
इस भूमि सर्वेक्षण के बाद, सभी ज़मीन मालिकों को जो खाता बुक दी जाएगी, वह राशन कार्ड की तरह होगी। इस खाता बुक में ज़मीन का पूरा विवरण, जैसे कि प्लॉट का साइज, नक्शा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होगी। यह दस्तावेज़ भूमि के मालिकाना हक़ का प्रमाण होगा और इसे भविष्य में किसी भी प्रकार के भूमि विवाद या बिक्री के समय काम में लाया जा सकेगा।
यह खाता बुक केवल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नहीं है। सर्वेक्षण की यह प्रक्रिया फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही है, लेकिन इसके बाद यह नगर निकायों, टोपोलैंड और दियारा क्षेत्रों में भी लागू की जाएगी। इससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लोग अपनी ज़मीन के सही रिकॉर्ड को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।
भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया :
यह विशेष भूमि सर्वेक्षण बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अधिनियम, 2011 के नियमों के अनुसार की जा रही है। इसमें सबसे पहले, ज़मीन मालिकों को अपनी ज़मीन की घोषणा करनी होगी और यह प्रमाणित करना होगा कि ज़मीन उनके स्वामित्व में कैसे है। इसके लिए उन्हें अपनी वंशावली और ज़मीन से संबंधित सभी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे। इनमें ज़मीन की रजिस्ट्री, जमाबंदी रसीद, खरीद-बिक्री से संबंधित दस्तावेज़, खतियान की कॉपी, नक्शा, कोर्ट के आदेश की कॉपी, वोटर आईडी और आधार कार्ड शामिल होंगे।
सर्वेक्षण टीम इन दस्तावेज़ों की जांच करेगी और सत्यापन के लिए ज़मीन का निरीक्षण करेगी। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सभी ज़मीन मालिक सही और प्रमाणित दस्तावेज़ प्रस्तुत कर रहे हैं। यदि सभी चीजें सही पाई जाती हैं, तो ज़मीन का स्वामित्व रिकॉर्ड ऑफ राइट्स में दर्ज कर लिया जाएगा।
इन दस्तावेज़ों की होगी आवश्यकता :
इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिए ज़मीन मालिकों को कुछ जरूरी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे। इनमें ज़मीन की रजिस्ट्री, खरीद-बिक्री से संबंधित कागजात, खतियान की कॉपी, नक्शा और कोर्ट के आदेश की कॉपी यदि कोई हो, शामिल हैं। इसके अलावा, ज़मीन मालिक को अपनी पहचान साबित करने के लिए वोटर आईडी और आधार कार्ड की कॉपी भी देनी होगी। यह सभी दस्तावेज़ इस बात का प्रमाण होंगे कि ज़मीन उनके स्वामित्व में है और उन्हें भूमि से संबंधित सभी अधिकार प्राप्त हैं।
बता दें कि बिहार में भूमि सर्वेक्षण की यह प्रक्रिया राज्य में भूमि विवादों को समाप्त करने और स्वामित्व के स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करने के उद्देश्य से की जा रही है। डिजिटल और ऑफलाइन दोनों तरीकों से लोगों को अपनी भूमि का सही रिकॉर्ड प्राप्त होगा। खाता बुक की सुविधा के माध्यम से, लोग अपनी ज़मीन की सही जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और यह दस्तावेज़ भविष्य में उनके लिए कानूनी रूप से भी महत्वपूर्ण साबित होगा। इस प्रक्रिया से राज्य के भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी, जिससे ज़मीन के मालिकों को अपने अधिकारों और संपत्तियों की सुरक्षा मिलेगी।