Bihar Land Survey : बिहार में अधिकांश लोगों के पास पुश्तैनी संपत्ति या पुश्तैनी जमीन है और यही भूमि विवाद की मुख्य जड़ है। लेकिन इस बार अगर भूमि सर्वेक्षण सही तरीके से हो जाए तो बंटवारे की यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।
राज्य में भूमि विवाद को खत्म करने के लिए भूमि सर्वेक्षण एक अवसर की तरह है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि बंटवारे पर सभी पक्ष सहमत हों। रैयत आपसी सहमति से अपनी पुश्तैनी संपत्ति का बंटवारा कर खतियान भी बनवा सकते हैं। अगर सभी पक्ष पारिवारिक जमीन का शेड्यूल बनाकर उस पर हस्ताक्षर कर आवेदन करते हैं तो भूमि सर्वेक्षण के दौरान बंटवारे को भी मान्यता मिल जाएगी और नए बंटवारे के अनुसार नया खतियान बनेगा।
मुजफ्फरपुर के जिला बंदोबस्त पदाधिकारी फिरोज अख्तर ने बताया कि अगर सहमति पत्र पर कोई आपत्ति नहीं होगी तो उसे बंटवारे के लिए वैध माना जाएगा। सर्वेक्षण के दौरान जो बंटवारा पेश किया गया है, उसी के अनुसार नया खतियान तैयार किया जाएगा।
दरअसल, बिहार में अधिकांश परिवारों में पूर्वजों की मृत्यु के बाद वंशज बंटवारे पर सहमत नहीं हो पाते थे, इसलिए अब तक खतियान में सिर्फ मृतक के नाम ही दर्ज होते हैं। अब विशेष भू-सर्वेक्षण के माध्यम से उनके नाम के साथ उनके वंशजों या उत्तराधिकारियों का नाम भी शामिल किया जाना है। अगर सर्वे के दौरान आपसी सहमति हो जाती है, तो सर्वे के दौरान ही उनका बंटवारा भी हो जाएगा। अगर सहमति नहीं बनती है, तो खतियान भी संयुक्त नाम से बनेगा। जिला बंदोबस्त पदाधिकारी ने बताया कि यही मौका है, अगर कोई अपनी संपत्ति का बंटवारा करना चाहता है, तो वह आपसी सहमति पत्र तैयार कर सर्वे के दौरान प्रस्तुत कर सकता है।