Bihar Land Survey : बिहार में आज से भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य राज्य में जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करना है, जिससे भूमि विवादों में कमी लाई जा सके। यह विशेष भूमि सर्वे एक साल तक चलेगा, जिसमें राज्य के सभी 45 हजार गांव शामिल होंगे। इस दौरान लोगों को अपनी जमीन के कागजात दिखाने होंगे, जिनका सत्यापन राजस्व भूमि सुधार विभाग करेगा। स्वतंत्रता के बाद 50 सालों में पहली बार पूरे राज्य में यह सर्वे हो रहा है। यह सर्वे बिहार विशेष सर्वेक्षण बंदोबस्त नियमावली 2012 के तहत हो रहा है। इसके लिए सभी जिलों में बंदोबस्त कार्यालय और प्रखंडों में शिविर कार्यालय भी स्थापित किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार, भूमि सर्वे के लिए लोगों को अपनी जमीन से संबंधित सभी जानकारी देने के लिए तीन मौके मिलेंगे। अगर किसी के पास कागजात पूरे नहीं हैं, तो भी उसे अपनी जमीन का सेल्फ डिक्लरेशन करना होगा और कागजात पूरे करने के लिए उसे समय मिलेगा। दस्तावेज पूरे होने पर वह विभाग के शिविर या संबंधित अमीन को सौंप सकता है। यह काम ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकेगा।
नियमानुसार, अगर कोई सर्वे टीम की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है, तो वह आपत्ति के लिए अपील कर सकता है। यदि सर्वे के ड्राफ्ट में किसी का नाम नहीं है, तो वह कोर्ट में अपील कर सकता है और सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रख सकता है, जिसमें वह कागजात भी दिखा सकता है। लैंड सर्वे का ड्राफ्ट छह महीने बाद ऑनलाइन देखा जा सकेगा।
राज्य में जिनके पास भी जमीन है, उन्हें उसकी स्वघोषणा करनी होगी और यह बताना होगा कि उसे यह जमीन कैसे मिली। भूमि पुश्तैनी है, या खरीदी गई है, या कोर्ट के आदेश के बाद कब्जा मिला है, सभी जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज भी दिखाने होंगे, जैसे जमीन की रजिस्ट्री, खरीद-बिक्री से जुड़े दस्तावेज, खातियान की नकल, जमीन का नक्शा, पुश्तैनी संपत्ति होने पर मृतक का प्रमाण पत्र, आवेदक का वोटर आईडी, आधार कार्ड की कॉपी आदि।
गांवों में ग्राम सभाएं आयोजित कर विभाग लोगों को जागरूक कर रहा है। भूमि के विशेष सर्वेक्षण के लिए लगाए जा रहे शिविर के साथ-साथ पंचायत स्तर पर राजस्व शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें भूमि विवाद, बंटवारा विवाद और दाखिल-खारिज जैसे मामलों का त्वरित निष्पादन किया जा रहा है।