Bihar Land Survey: बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया के दौरान वंशावली को लेकर लोगों में काफी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। राज्य सरकार ने कहा है कि सर्वेक्षण के दौरान वंशावली को स्वयं ही फॉर्म 3 (1) में स्वघोषणा के माध्यम से भरना होगा यानी वंशावली को पंचायत या कोर्ट से तैयार करवाने की कोई अनिवार्यता नहीं है।
इसके बावजूद कई जगहों पर सर्वेक्षण कर्मी आवेदकों से कोर्ट और पंचायत द्वारा तैयार की गई वंशावली का हलफनामा संलग्न करने को कह रहे हैं। ऐसे में भू-स्वामी कोर्ट और दफ्तरों का चक्कर लगाकर वंशावली तैयार करवा रहे हैं। इसके लिए उन्हें समय के साथ-साथ पैसे भी खर्च करने पड़ रहे हैं। जामकारी के अनुसार बिचौलिए वंशावली तैयार करवाने के लिए 500 रुपये तक वसूल रहे हैं।
आपको यह जानकारी दे दें कि विशेष भूमि सर्वेक्षण के दौरान किसानों से उनकी वंशावली की जानकारी मांगी जा रही है। खासकर उन जमीनों के लिए जो पुश्तैनी हैं, फॉर्म-3 भरना अनिवार्य किया गया है। यदि कोई जमीन दादा या परदादा के नाम पर थी और समय के साथ उनकी मृत्यु हो चुकी है, तो ऐसी स्थिति में वंशावली के आधार पर उस जमीन के वास्तविक मालिकों का नाम सर्वे में दर्ज किया जाएगा।
इस संबंध में कैमूर जिला पदाधिकारी सावन कुमार ने बताया कि जमीन सर्वे के लिए किसानों द्वारा दी गई वंशावली में कोर्ट का हलफनामा संलग्न करने की आवश्यकता नहीं है। वंशावली की जानकारी उस फॉर्म में बिल्कुल सही देनी चाहिए। जिसके बाद सर्वे अधिकारी ग्राम सभा के माध्यम से आपके द्वारा दी गई वंशावली की जानकारी का सत्यापन करेंगे। जिसके बाद पंचायत के सरपंच इसकी पुष्टि करेंगे। उन्होंने बताया कि इसके लिए लोगों को अलग से किसी कार्यालय या पंचायत का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है।