वे सोच रहे हैं कि क्या करें? क्या सरकार हमारी जमीन ले लेगी? किससे पूछें? क्या कागजात देने होंगे? कहां से कागज लाएं? इसके लिए क्या करना होगा? इससे उन्हें क्या लाभ मिलेगा? ऐसे कई सवाल हैं जो भूस्वामियों के मन में उठ रहे हैं। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपके इन सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपके मन में उठ रहे सवालों का जवाब मिल जाएगा। तो चलिए जानते हैं बिहार के इस भूमि सर्वेक्षण के बारे में विस्तार से:
भूमि सर्वेक्षण क्या है?
बिहार में बढ़ते भूमि विवादों को देखते हुए राज्य सरकार ने पुराने खतियान को अपडेट करने के उद्देश्य से यह भूमि सर्वेक्षण करा रही है। वास्तव में, बिहार में आज़ादी के बाद यह पहला पूर्ण भूमि सर्वेक्षण हो रहा है। इससे पहले, करीब 50 साल पहले एक भूमि सर्वे शुरू किया गया था, जिसे कुछ ही जिलों में करने के बाद रोक दिया गया था। जिसके कारण बिहार में आज भी जमीन का रिकॉर्ड आज़ादी से पहले 1890 में हुए पहले भूमि सर्वे के आधार पर ही है। इतने वर्षों में जमीन की काफी खरीद-बिक्री और लेन-देन हो चुकी है, कई पीढ़ियाँ आ चुकी हैं, लेकिन खतियान में पुराना स्वामित्व ही दर्ज है। उस समय के लोगों के नाम ही दर्ज हैं।
करीब 150 साल पुराना है जमीन का रिकॉर्ड:
सर्वे नहीं होने के कारण नक्शे भी पुराने ही चल रहे हैं, जबकि एक जमीन कई बार बिक चुकी है और उसका रकबा एवं आकार भी बदल चुका है, लेकिन उसका खाता और खेसरा (प्लॉट) नंबर आज भी 150 साल पुराना है। ऐसी कई चीजें हैं, जिनके चलते विवाद खड़े हो रहे हैं, क्योंकि इतने वर्षों से कोई सर्वे नहीं हुआ, जबकि बड़े पैमाने पर जमीन का आकार, प्रकृति और स्वामित्व बदल गए हैं, लेकिन खतियान और नक्शा आज भी पुराने ही चल रहे हैं।
इन सभी को अपडेट करने के लिए सरकार द्वारा बिहार भूमि सर्वेक्षण 2024 शुरू किया गया है। इस सर्वे में सभी रिकॉर्ड वर्तमान में जमीन मालिकों के नाम पर हो जाएंगे और इसके बाद भूमि संबंधी सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन कर दिए जाएंगे। लोगों को बैंक खाते की तरह एक खाता बुक मिलेगा जिसमें वे अपनी जमीन से संबंधित सभी जानकारी एक जगह पर रख सकेंगे। वहीं, रिकॉर्ड के डिजिटलाइजेशन के बाद लोग अपने या किसी और के जमाबंदी-खतियान को एक क्लिक में देख सकेंगे।
रैयतों को क्या होगा फायदा?
यह सर्वेक्षण बिहार के लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होगा। इससे न सिर्फ जमीन के रिकॉर्ड अपडेट और ऑनलाइन होंगे, बल्कि राज्य में वर्षों से चल रहे जमीनी लड़ाई-झगड़े भी खत्म होंगे। इससे लोगों को अपनी जमीन की खरीद-बिक्री में भी आसानी होगी और उन्हें सही कीमत मिल सकेगी। इसके अलावा, सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। वहीं, विकास से जुड़ी योजनाओं को लागू करने में भी मदद मिलेगी। ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि जनता उनका भरपूर सहयोग करेगी।
अगर सर्वे में कोई गड़बड़ी है तो रैयत इसकी शिकायत कहां करें?
इस भूमि सर्वेक्षण में बंदोबस्ती में हुई खामियों के सुधार के लिए रैयतों को सुधार या शिकायत/आपत्ति के लिए तीन मौके दिए जाएंगे। इनमें रैयत पहला आपत्ति ड्राफ्ट पब्लिकेशन के बाद बंदोबस्ती शिविर में दर्ज करा सकेंगे। इसके अलावा कानूनगो और बंदोबस्त पदाधिकारी के स्तर पर आपत्ति दर्ज करा सकेंगे। वहीं, तीसरी और अंतिम शिकायत/आपत्ति फाइनल प्रकाशन के बाद कर सकेंगे। इसके बाद भी कोई आपत्ति है तो आप अदालत में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अदालत के आदेशानुसार उसमें सुधार कर दिया जाएगा।
रैयतों को क्या करना होगा?
सर्वे के लिए रैयतों को अपनी जमीन के कुछ जरूरी दस्तावेज देने होंगे। यह दस्तावेज इस बात पर निर्भर करते हैं कि जमीन आपके नाम पर है या आपके पूर्वजों के नाम पर। अगर जमीन आपके पूर्वजों के नाम पर है और अब वे जीवित नहीं हैं, तो आपको उनकी मृत्यु का प्रमाण पत्र देना होगा। इसके साथ ही आपको उनकी जमाबंदी या मालगुजारी रसीद भी देनी होगी, जिसमें संख्या और वर्ष का विवरण हो।
अगर आपके पास केवाला या खतियान है तो उसकी कॉपी भी साथ में लगानी होगी। साथ में मालगुजारी रसीद, एलपीसी और जमीन पर स्वामित्व का कागजात जैसे बंटवारा पेपर, क्रय केवाला, दान, डीड या अन्य कागजात जो स्वामित्व से संबंधित हों। ऐसे रैयत जिनके दादा-परदादा के नाम से खतियान है, वे जीवित हैं या नहीं, उन्हें प्रपत्र-3 (1) में वंशावली बनाकर देनी होगी।
इसके लिए रैयतों को अपने इलाके में सर्वे शुरू होने से पहले अपने कागजात ठीक-ठाक कर लेना है और खेतों की मेड़ आदि को भी ठीक कर लेना है, ताकि नए नक्शे और खतियान में मौजूदा स्थिति को दर्ज किया जा सके। रैयत को प्रपत्र-2 में एक स्वघोषणा पत्र में जमीन संबंधी पूरी जानकारी भरकर देनी होगी।
रैयतों को देने होंगे ये डॉक्यूमेंट्स :
- फॉर्म 2 में स्व-घोषणा पत्र,
- जमाबंदी रजिस्टर,
- लगान रसीद,
- एलपीसी के पेपर,
- वसीयत /दान के पेपर
- केवाला या बदलेन (Exchange) के पेपर,
- खतियान के पेपर,
- बंटवारा के पेपर,
- फॉर्म 3(1) में वंशावली आदि।
बाहर रहने वाले रैयत कैसे करेंगे आवेदन?
यह सर्वेक्षण पूरी तरह ऑनलाइन सिस्टम में हो रहा है। जो लोग बिहार से बाहर रहते हैं और आने में परेशानी है, वे अपने कागजात सरकार के भूमि सुधार और राजस्व विभाग की साइट पर ऑनलाइन आवेदन कर जमा कर सकते हैं और अपनी जमीन का स्टेटस ऑनलाइन ही देख सकते हैं। रैयत अपना स्वघोषणा पत्र के साथ कागजात अपलोड कर सकेंगे। इसके अलावा, ग्राम सभाओं और कैंप कार्यालय में किसी के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन भी लिए जाने की व्यवस्था है। हालांकि, सत्यापन के समय बाहर रहने वाले व्यक्ति या उनके अधिकृत प्रतिनिधि का मौजूद रहना अनिवार्य है, क्योंकि रैयतों के आवेदन पर सत्यापन अमीन और कर्मी जमीनी स्तर पर करेंगे।