Bihar Jamin Survey : बिहार में भूमि सर्वेक्षण को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब रैयतों को दस्तावेज जमा करने का समय आ गया है। इसके लिए रैयत दस्तावेज प्राप्त करने के लिए अभिलेखागार पहुंचने लगे हैं। अब तक भूमि सर्वेक्षण को लेकर असमंजस में रहे रैयतों को अब प्रक्रिया स्पष्ट होने लगी है। इस संबंध में भूमि सर्वेक्षण के लिए नियुक्त पदाधिकारी व कर्मी रैयतों को सभी तरह की जानकारी दे रहे हैं।
सर्वेक्षण पदाधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार भूमि सर्वेक्षण में रैयतों को भूमि स्वामित्व साबित करने के लिए फॉर्म दो भरकर जमा करना होगा। फॉर्म दो में रैयतों को खतियान विवरणी जमा करनी होगी जिसमें खाता व खेसरा नंबर, रकबा व चौहद्दी का उल्लेख होगा। जबकि फॉर्म-3 (1) में वैसे रैयत जिनके नाम से खाता नहीं है यानी वैसे रैयत जिनके भूमि स्वामित्व का अधिकार पिता या दादा या पुश्तैनी है, उन्हें वंशावली उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
बता दें कि भूमि सर्वेक्षण को लेकर प्रतिदिन भूस्वामियों को नई-नई जानकारी दी जा रही है। इसी क्रम में बिहार भूमि सर्वेक्षण को लेकर तरारी पंचायत के सभागार भवन में ग्राम सभा का आयोजन किया गया।
अगर नहीं है जमीन का कागज तो कैसे कायम होगी जमाबंदी?
इसको लेकर कानूनगो मोहम्मद नबाब और अभिनंदन कुमार ने कहा कि भूमि पर कब्जे को लेकर मौखिक आदान-प्रदान के बावजूद यदि कागजात और दस्तावेज जमा नहीं किए जाते हैं, तो ऐसी परिस्थिति में मूल रैयत के नाम पर ही सर्वेक्षण खाता खोला जाएगा। इससे पहले किसान अपने खेतों की मापी कराकर भूमि का सीमांकन सही करा लें, अन्यथा रकबे के हिसाब से नक्शा तैयार कर दिया जाएगा।
विवादित भूमि जिनका मामला न्यायालय में चल रहा है ऐसे मामले में विवरण के अनुसार जमाबंदी मूल रैयत के नाम पर की जाएगी। बिना कागजात के घर बनाने पर मूल रैयत के नाम पर या मूल रैयत के अभाव में सरकारी खाते में जमीन जमाबंदी कर दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि चक के अनुसार सहमति से भूमि पर कब्जे की जांच के बाद सर्वेक्षण संभव है। सर्वे पूरा होने और जीवित रैयतों के नाम पर जमाबंदी खाता खुलने के बाद फरीकैन और पाटीदारों द्वारा दस्तावेज दबाने की शिकायत खत्म हो जाएगी।
वंशावली में बहन-बेटी का नाम दर्ज करना अनिवार्य:
उन्होंने बताया कि वंशावली में बहन-बेटी का नाम दर्ज करना अनिवार्य है। रैयतों को फॉर्म 2 में अपनी जमीन से संबंधित 11 कॉलम में स्वघोषणा पत्र देना होगा। साथ ही इसकी पुष्टि के लिए जमीन के कागजात की स्वप्रमाणित छायाप्रति जमा करनी होगी। वंशावली फॉर्म 3(1) में जमा करनी होगी।
रैयतों द्वारा जमा किए गए कागजात का मिलान सरकार के पास उपलब्ध जमीन के कागजात से किया जाएगा। जमीन सर्वे के दौरान किस्त के समय रैयत को अपने प्लॉट पर मौजूद रहना होगा।
सरकार का लक्ष्य एक साल के अंदर विशेष जमीन सर्वे पूरा करना है। दस्तावेज ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से जमा किए जा सकते हैं।
हर हाल में 1962 के आधार पर ही होगा जमीन सर्वे:
उन्होंने बताया कि 1962 के आधार पर ही जमीन सर्वे किया जाएगा। इस संबंध में अधिकारियों द्वारा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आज के दौर में जमीन का मालिकाना हक 1962 के सर्वे में जमीन की स्थिति के अनुसार तय होगा। सरकारी जमीन हर हाल में सरकार के पास ही रहेगी।
साथ ही पट्टा पर ली गई जमीन पर बसे व्यक्ति और परिवार का मालिकाना हक तो रहेगा, लेकिन वे उस जमीन को बेच नहीं सकेंगे। इसी तरह मंदिर, मठ, मस्जिद, गुरुद्वारा की जमीन ट्रस्टी की निगरानी में रहेगी, लेकिन ट्रस्टी उस जमीन को बेच नहीं सकेंगे।
जमीन मालिकों को देने होंगे ये दस्तावेज:
उन्होंने बताया कि जमीन मालिकों को फॉर्म-1 में जमीन का घोषणापत्र, फॉर्म-2 में रैयत का खाता, फॉर्म-3 और 3-ए में खेसरा, रखहा स्वघोषणा और स्वघोषित वंशावली देनी होगी। इसके बाद सर्वेयर, अमीन, कानूनगो, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी जमीन मालिक द्वारा विभिन्न प्रपत्रों में दी गई जानकारी की जांच करेंगे और फॉर्म-7 में गजट प्रकाशित किया जाएगा।
गजट प्रकाशन के बाद अगर कोई आपत्ति होगी तो भूस्वामी फॉर्म-8 में सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी के समक्ष आपत्ति दर्ज कराएंगे। इसमें आम लोग फॉर्म-7, 13, 20 पर जरूर ध्यान देंगे। फॉर्म-22 में सर्वे का काम पूरा होने के बाद अंतिम प्रकाशन किया जाएगा।
भूस्वामियों को 15 सितंबर तक का समय:
बिहार भू सर्वेक्षण से जुड़ा नया अपडेट सामने आया है। इसके अनुसार भूस्वामियों को दस्तावेज जमा करने के लिए 15 सितंबर तक का समय दिया गया है। इसे लेकर भूस्वामियों से नई अपील की गई है।