Bihar Land Survey : बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण में किसानों को अपनी जमीन के स्वामित्व को लेकर स्वघोषणा पत्र दाखिल करना है। इस स्वघोषणा पत्र-2 में अपने स्वामित्व वाली जमीन का ब्योरा देना है। यह प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में है। ऑफलाइन में यह जानकारी कैंप में ली जाती है, जबकि ऑनलाइन मोड में इसे सर्वेक्षण निदेशालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है। लेकिन भूमि सर्वेक्षण को लेकर किसानों की सुस्ती से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग हैरान है।
शुक्रवार को बंदोबस्त पदाधिकारियों की समीक्षा बैठक में किसानों की सुस्ती की समस्या सामने आई है। इस संबंध में विभागीय सचिव जय सिंह ने कहा है कि किसानों को यह सुविधा सीमित अवधि के लिए ही दी गई है, इसलिए वे प्राथमिकता के आधार पर इस काम को जल्द पूरा करें।
सर्वेक्षण शिविरों का स्वयं दौरा करें बंदोबस्त पदाधिकारी :
विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बंदोबस्त पदाधिकारी नियमित रूप से क्षेत्र का दौरा करें और लोगों को जागरूक करें। ताकि दूसरे चरण के सर्वेक्षण की तैयारियां समय पर पूरी की जा सकें। पदाधिकारी स्वयं इन सर्वेक्षण शिविरों का निरीक्षण करें।
उन्होंने यह भी कहा कि सर्वेक्षण शिविर ऐसे स्थान पर होना चाहिए, जहां लोग आसानी से पहुंच सकें। अगर शिविर अंचल कार्यालय परिसर के आधुनिक अभिलेखागार में लगाया जाता है, तो उसमें उपलब्ध उपकरण जैसे कंप्यूटर-प्रिंटर का उपयोग सर्वेक्षण में किया जा सकता है।
बंदोबस्त पदाधिकारियों को कहा गया कि अंचलों में लगाए जाने वाले शिविरों का स्थान, शिविर प्रभारी का नाम और मोबाइल नंबर स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित कराएं। इस बैठक में विशेष पदाधिकारी लक्ष्मण तिवारी समेत सभी जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारी मौजूद थे।
2611 मौजा में अभी तक सर्वेक्षण शुरू नहीं हुआ:
विभागीय सचिव जय सिंह ने कहा कि 2611 मौजा को सर्वेक्षण में शामिल नहीं किया गया है। ये शहरी क्षेत्र, असर्वेक्षित, टॉपलैंड या किसी कारण से विवादित मौजा हैं। फिलहाल 43,138 गांवों में सर्वे चल रहा है। इन सभी मौजा में प्रपत्र-1 में घोषणा पत्र भरकर सभी को भू-सर्वे सॉफ्टवेयर में अपलोड कर दिया गया है। 35,454 गांवों में ग्राम सभा का आयोजन हो चुका है। शेष गांवों में एक सप्ताह के अंदर इसका आयोजन किया जाना है। उन्होंने बताया कि जिन मौजा में ग्राम सभा का आयोजन हो चुका है, वहां के अमीन को खतियान का सारांश यानी तेरजी लेखन करना है। समीक्षा में बताया गया कि 13626 मौजा में तेरजी लेखन शुरू किया गया था। इनमें से 8014 मौजा में यह पूरा हो चुका है।